tag:blogger.com,1999:blog-7026715562610864055.post6782327325714383659..comments2022-03-30T23:04:25.282+05:30Comments on satyendra: GirBandhavgarhhttp://www.blogger.com/profile/08067134199082110208noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-7026715562610864055.post-47462800681286889722010-06-01T00:23:47.856+05:302010-06-01T00:23:47.856+05:30बहुत सहज तरीके से लिखा है आपने.
"गुजरात की म...बहुत सहज तरीके से लिखा है आपने.<br /> "गुजरात की मेरी यात्राओं का सबसे बड़ा दुःख हे की वहां ट्रेन में सुबह चाय नहीं मिलती और जब मिलती भी हे तो कप इतना छोटा होता हे की वह पांच रूपये की डकैती जैसा लगता हे"<br />हाहाहा....बहुत खूब. लेकिन मैं हतप्रभ हूं, वहां के शेरों की दुर्दशा पर. क्या ये शेर उन वन-कर्मियों का कुछ नहीं बिगाड़ते? कैसे खदेड़ के पर्यटकों के सामने लाते होंगे? ये कैसी व्यवस्था है? एक मात्र शेर-गाह...उसका भी ये हाल .... अभी कुछ और भी लिखिये न गिर के बारे में.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.com