Saturday, April 3, 2010

भोपाल यात्रा.

शायद यह मेरी सबसे छोटी भोपाल यात्रा थी। कुल चार घंटे भोपाल में बिताए और वापस घर। मेरी ट्रेन यात्रा हमेशा दुखदाई होती हे। उमरिया से अमरकंटक ट्रेन में 2 A/C में यात्रा की। जबलपुर तक यह यात्रा सूअर के बाड़े में सोने समान थी। एक यात्री मेरे पास वाली ही सीट पर खुर्राटे ले रहे थे। यह खुर्राटे इतने जोर के थे की मैंने तुरंत ही परिचालक से मेरी सीट बदलने की सिफारिश की लेकिन दुर्भाग्य से एक भी सीट खाली नहीं थी। पूरी यात्रा में मैं कुल दो घंटे सो पाया। वापसी की यात्रा भी कोई ज्यादा सुखदाई नहीं रही। कुल एक घंटे सो पाया तो जब वापस घर पहुंचा तो वह रात भी कुल दो घंटे और बची थी।
शैलेश के मकान की पूजा के अवसर पर भोपाल जाना हुआ था। सोनवाने से मुलाक़ात हुई, पंकज को धन्यवाद की वह मुझे लेने स्टेशन तक आये। संजय से पता चला की उनके यहाँ पिछली २६ मार्च को चोरी हुई थी जिसमे की लगभग १० लाख की कीमत के कैमरे चोरी हो गए थे।
होशंगाबाद मैं ओमहरी आये थे तो इटारसी में रानी और उनकी बिटिया आई थी। यात्रा का मकसद सिद्ध हुआ यह सबसे बड़ी बात थी।

Thursday, April 1, 2010

Rajasthan

मैं मेरी दोनों यात्राओं को एक साथ लिख रहां हूँ क्योकि यह दोनों यात्राये लगभग एक सी ही थी। फिरोजाबाद आगरा के बाद हम जयपुर पहुंचे। उस समय जयपुर नहीं रुके क्योंकि हमें अगली सुबह दुन्द्लोंद जाना था। दुन्द्लोद में मारवाड़ी घोड़ो की दौड़ हो रही थी जिसे की मुझे फोटोग्राफ करना था। ६ दिन वहां रहे, घोड़ो के कई नामचीन लोगो से मुलाकात हुई। इसके बाद मैं फिर जोधपुर गया और इस बार मेरा मकसद था खीचन जाना। सुनील मुझे पहले एक गाँव में ले गए। वहां जाने के बाद वहां आने का मकसद पता चला। गाँव के चारो और चिंकारा घूम रहे थे। कुछ ही देर में सारे चिंकारे एक जगह इकट्ठे होने लगे। मुझे इससे आगे और क्या चाहिए था। सुनील और उनकी बिटिया लोगो से बात करते रहे और मैं फोटो खींचता रहा। इसके बाद सुनील मुझे खीचन लेकर गए। मैं भी खीचन कई सालो से जाना चाहता था लेकिन कभी संयोग नहीं बन रहा था। खीचन पहुँच कर हम कुर्जा को ढूंढ रहे थे की एक सड़क इनारे मुझे १०० से भी ज्यादा कुर्जा बैठे दिखे। मैं फ़ौरन अपने काम में मशगूल हो गया। आप पैदल कुर्जा से १०० मीटर की दूरी तक जा सकते हे। इतना बहुत था मेरे लिए। फिर हमने देखा की आसमान में ढेर सारे कुर्जा उड़ उड़ कर एक ही दिशा में जा रहे हे तो हम भी उस दिशा में चल दिए। थोड़ी ही देर में हमें चुग्गाघर दिखाई पड़ गया। यहाँ लगभग एक हजार पक्षी दाना चुग रहे थे। मैं अपने काम में मशगूल था और सुनील को किसी ने बुलाया तो वह उससे बात करने उसकी छत पर चले गए। बाद में मुझे भी बुलाया तो मैं भी वहां गया और छत से फोटो खींचने लगा। अचानक मेरे हाथ में एक चाय का ग्लास पकड़ा दिया गया। मैं लोभी दो लोभो के बीच में फंस गया। न चाय पीने का लोभ छोड़ सका और न फोटो खींचने का। दोनों काम साथ साथ चलते रहे। इतनी सारी कुर्जा और इतने पास देखकर मैं हैरत मैं था। कैमरा बताता हे की मैं ९० मिनट तक फोटो खींचता रहा। जब काम ख़त्म हुआ तब चाय पिलाने वाले सज्जन को धन्यवाद दिया और उनसे परिचय हुआ तो पता चला की वह सेवाराम हे जो की यहाँ कुर्जा के संरक्षण पर अकेले काम कर रहे हे। इस समय बिजली के तार के खम्भे हटवाना उनकी पहली प्राथमिकता हे। जैसा की इस देश में होता हे वैसा ही सेवाराम के साथ हुआ की बिजली विभाग ने उन पर बिजली चोरी का आरोप लगा कर एक लम्बा चौड़ा बिल भेज दिया। अब आप लड़ते रहो। मैंने सेवाराम को समझाया की यह सब तो शुरुआत हे यदि आगे भी कुर्जा के लिए काम करते रहोगे तो तुम्हे और भी कई आलसी लोगो से इसी प्रकार सामना करना पडेगा। वहां की समस्या का आसान सा हल हे की बिजली के खुले तार की बजाय केबल डाल दी जावे।
खीचन और जोधपुर के फोटो देखकर के का भी मन हुआ इन जगहों को देखने का। उसे होली पर हाथी को सजाने का त्योंहार जयपुर मैं देखना था तो सोचा की होली पर जयपुर खीचन और जोधपुर हो आया जावे।
जयपुर का हाथी सजाने का त्योंहार प्रबंधन की कमी के कारण फीका रहा। खीचन और जोधपुर फिर से बहुत ही बढ़िया रहे। इस बार हमारे साथ एक जर्मन महिला भी थी। उसे बता दिया गया था की खीचन मैं सोने की कोई व्यवस्था नहीं हे और हम जो मिलेगा उसी में संतुष्ट रहेंगे लेकिन खीचन में सुबह जब कुर्जा आती हे उसे देखने के लिए यह सब तकलीफ गंवारा करनी होगी। दो बिस्तरों में तीन लोग सोये। क्या खुर्राटे मारती थी भाई वह महिला। हम दोनों रात भर नहीं सोये और सुबह उठ कर जब उसने पूंछा की रात को नींद आई तो हमारे मुंह से शब्द नहीं निकला। वह ५ स्टारी महिला सुबह कुर्जा को देखकर इतनी प्रसन्न थी की जिसकी कोई व्याख्या नहीं की जा सकती। घर पहुँचने के बाद उसका इ मेल आया की ऐसे कोई और स्थान पर यदि आप लोग जा रहे हो तो मुझे अवश्य बताना मैं भी साथ चलूंगी। इश्वर जाने भविष्य का।
मैं कुर्जा की फोटो के लिए एक बार और खीचन जाऊंगा लेकिन इस बार कुछ दिनों तक रूकूंगा ताकि दोबारा वापस न जाना पड़े।
कुर्जा को अंग्रेजी में Demoiselle Crane कहते हे।