Saturday, July 25, 2009

सांप और तितली




आज मुनमुन माहि इतवार की छुट्टी मनाने आ गई। स्कूल कितने दिन का होना चाहिए और उसका १२ साल से कम उम्र के बच्चो के लिए क्या समय होना चाहिए इसके बारे में अभी तक हमारे देश में वैज्ञानिक आधार पर समय निर्धारण नहीं हुआ हे। मैं इंग्लॅण्ड में देखता हूँ की वहाँ बच्चो को शाम के ७ बजे तक बिस्तर में जाने की व्यवस्था कर दी जाती हे। वहां मैंने १५ साल से कम उम्र के बच्चो को शाम को T. V. देखते हुए नहीं देखा। हाँ शनीवार की बात अलग हे जब की बच्चे ८ बजे तक T.V देखते हे और इतवार को देर से नहीं बल्कि अपनी इच्छा से बिस्तर से उठते हे। http://www.sleepforkids.org/html/sheet.html इस वेब साईट के आधार पर ५ से १२ साल के बच्चो को कम से कम १०-११ घंटे की नींद लेना चाहिए। यदि इस उम्र के बच्चो को सुबह ७ बजे स्कूल के लिए तय्यार होकर बस पकड़ना हो तो यह कैसे सम्भव हे। ६ बजे उठने के लिए in बच्चो को शाम ७ बजे तक सो जाना चाहिए? क्या, ८ बजे तक तो हमारे यहाँ खाने की बात ही नहीं होती हे तो बच्चो को भूखा कैसे सुला दे। अधिकाँश घरों से यहीं जबाब मिलेगा।

मुनमुन की स्कूल बस सुबह ७ ३० बजे आ जाती हे और माही की ९ बजे। माहि ने शौक शौक में स्कूल जाना शुरू कर दिया हे। मुनमुन का टिफिन, बोतल, और ड्रेस ने उसे उत्साहित कर दिया। ३ साल की माहि अब बिना किसी नखरे के स्कूल जाती हे। मुनमुन का शौक हे साईकिल चलाना। यहाँ आने के ५ मिनट में आप उसे उसकी साईकिल पर देख सकते हे। के बता सकती हे की मुनमुन कितनी बार साईकिल चलाते हुए गिरी क्योंकि हेज़ में हुए छेद गवाही दे देते हे। हाँ तो मैं बात कर रहा था स्कूल के समय की। यदि छोटे बच्चों का स्कूल १० बजे या उसके बाद से लगे तो उसमे बुराई क्या हे?

माँ बाप इस बारे में यदि स्कूल को कहे तो समय अवश्य बदल सकता हे। नींद पूरी न होने की वजह से बच्चो में चिडचिडापन देखने को मिलता हे और उनकी याददाश्त kamjor हो जाती हे। http://www.sleep-deprivation-info.com/

गब्बू , मेरी भांजी, ने आज बताया की वह अपने स्कूल में आज स्पीचm प्रतियोगिता में प्रथम आई। उसका कहना हे सवाल विषय का नहीं था मेने जिस तरह बोला उस कारण में प्रथम आई। के heमध्यम से बच्चों से रोज बात हो जाती हे।

पिछले कुछ दिनों में हमने खूब सांप देखे। कल नागपंचमी । हम आज सुबह wolf snake की फोटो खींच रहे थे। यह सांप जहरीला न होने के बाद भी दिया में हे क्योंकि अधिकाँश लोग इसमे और common krait क्या अन्तर हे यह नहीं पहचान पाते हे।

1 comment:

वन्दना अवस्थी दुबे said...

हमरे देश में शिक्षा-प्रणाली ही दोष-सहित है. बच्च्मं को किस उम्र में कितने विषय पढने चाहिये यही तय नहीं है.