Thursday, July 16, 2009

बरसात की वह रात.

मैं अपनी होटल मेनेजर की नौकरी छोड़ चुका था। अब टूर लीडर का काम करता था। जितना पैसा महीने भर खपकर मिलता उतना ही अब एक सप्ताह में हँस बोलकर मिलने लगा। जीवन बड़े मजे में कट रहा था। साल में कुल १०० -१२५ दिन का काम मिलता जो की बहुत था। साल में २४० दिन की छुट्टियाँ बिताना बड़ा कष्टकारी काम था। अब अपना कोई घर नहीं बचा था। माँ के साथ बायाँ ( बुधनी के पास)में रहता था। घर में आँगन के पास ही एक बिना दरवाजे वाले कमरे में मैं सोता था। इस कमरे की दीवाल से लगे खेत थे। रात को जब पानी बरसता और खेत में पानी भरता तो उस खेत के सारे सांपो के लिए मेरे कमरे की दीवाल एक बड़ा सहारा थी। मैं मच्छरदानी लगाकर और रातभर बल्ब जलाकर सोता। रात को जब नींद खुलती तो सबसे पहले यह देखता की मच्छरदानी से बाहर निकलना सुरक्षित भी हे या नहीं। खपरैल वाली छत पर यहाँ वहां साँप चढ़े रहते। मैं उन्हें तब तक बर्दाश्त करता जब तक वह ज़मीन पर नहीं आते। मैंने अधिकतम १०-११ साँप तक छत पर लटके देखे।
एक दो बार साँप मच्छरदानी पर भी गिरे। अधिकतर साँप पनियारे (keelback) हुआ करते थे। मुझे केवल इस बात का डर लगता था की कहीं साँप मच्छरदानी में अन्दर न घुस जाए। यहाँ भी सांपो से वास्ता पड़ता हे। अधिकतर सांपो से तो बिल्लियाँ ही निपट लेती हे। हाँ हमारे पास ६-८ बिल्लियाँ तो हमेशा रहती हैं। बहुत दिनों से कोई साँप नहीं देखा लेकिन कुछ दिनों पहले कुएं में तीन साँप गिर पड़े थे जिन्हें बाल्टी में भरकर निकाला। पिछले साल एक साँप कमरे में घुस आया था तो उसे निकालने के लिए एक बिल्ली को दिखाया और मिनट भर में साँप बाहर। उनके खेल को हमने अपने कैमरे में कैद किया। हाथ दो हाथ लंबे साँप को बिल्लिया आसानी से खा जाती हैं। हाँ यह बात जरूर हे की सब बिल्लियाँ ऐसा नहीं करति। हरिओम की दोनों बिटियों को साँप देखने में बड़ा मजा आता हे। पिछले साल माहि किचन के पास में बैठी लकड़ी से कुछ हिला रही थी। अचानक कालीचरण के ध्यान उस पर गया, पास जाकर देखा की माही एक साँप को हेज से बाहर निकालने की कोशिश कर रही हे। तब माही की उम्र कुल दो साल थी। पिछले साल कालीचरण और राजेश गोलघर में बैठकर चाय पि रहे थे अचानक उनकी नजर ऊपर गई तो देखा की एक साँप बल्ली में लिपटा हे। दोनों भागकर बाहर। चाय ख़त्म कर हमें बुलाया। के फ़ौरन किताब लेकर आई। चिंता की कोई बात नहीं। जहरीला नहीं। नो प्रॉब्लम। फ़िर तो अगले एक महीने तक उसे वहीं देखते रहे। सितम्बर में जब घास बदलने का समय आया तो फ़िर एक साँप निकला। के ने कहा की हटो मैं इसे निकालती हूँ। के ने जब उसे निकालने की कोशिश की तो वह जान बचाकर भागा और लगभग लगभग कालीचरण के उपर गिरा। सबसे जोरदार किस्सा तो कृपाल का हे। खाना लगाने के बाद वह किचेन के बाहर खड़ा था। उसे कुछ ऐसा लगा जैसे उसके पेंट में कोई चीज चढ़ रही हे। खड़े खड़े उसने पैंट झ्त्कारा तो एक साँप गिर पडा। एक रात कालीचरण सोने गया तो उसे लगा जैसे उसके बिस्तर में कुछ चल रहा हे। चादर उठा कर देखा तो एक साँप। अभी तक हमने अपनी जमीन पर केवल दो जहरीले साँप देखे। एक कालीचरण ने मारा जो की Common Krait था और दूसरा Russels Viper. साँप काटने की अधिकतम घटनाएं शाम को होती हे। सूर्यास्त के बाद २-३ घंटे तक साँप का खतरा अधिक रहता हे। जहरीले साँप का काटा हुआ व्यक्ति दवाई से ही ठीक होता हे।

1 comment:

वन्दना अवस्थी दुबे said...

अब जा के चैन पडा...इतनी अच्छी पोस्ट हो और उस पर टिप्पणी न जा सके इस बडा दुख और क्या हो सकता है, एक टिप्पणीकार के लिये? बहुत ही रोमांचक पोस्ट.